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Bhavna Thaker

Classics

4  

Bhavna Thaker

Classics

तुम बिन अधूरी मैं

तुम बिन अधूरी मैं

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न जाने क्यूँ अधूरी महसूस होती हूँ तुम बिन खाली-खाली सा

दिल सूना-सूना सा जहाँ और रूठा रूठा सा तू लगता है।।


मुद्दतें हुई मुलाकात हुए चलो ना नया सफ़र वहीं से

शुरू करें जहाँ बिछड़े पलछिन की मज़ार पड़ी है।


थोड़ा तुम करीब आओ थोड़ी में मुस्कुराऊँ

चाहत को गवाह बनाकर हथेलियों पर वादा रख दें।


मान जाऊँ में पल में जो तू प्यार से मनाए

बाज़ी नहीं ये इश्क है, हार जीत का गिला नहीं

मिलन का मिलकर जश्न मनाएं।


एक तो कम है उम्र की रवानी उपर से बैरी बैठी है

जवानी उर के आँगन में चलो प्रीत की रंगोली सजाए।


चुप हूँ मैं मौन हो तुम अहसास को आगे कैसे बढ़ाए,

धड़कन की सरगम सुन सीने पर सर रखकर

एक बार फिर क्यूँ ना हम एक दूजे के हो जाए।


छुआ था मुद्दतों पहले तुम्हारी परछाई ने

मेरी रूह को, हमारी रूह-ए-रंगत 

अभी तक जाफ़रानी सी महक रही है।


तुम्हारी तरह मिजाज़ मैं अपना ना बदल पाऊंगी

तेरी जगह दिल मै किसी ओर को ना उतार पाऊंगी।


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