तुझे घमंड किस बात का है
तुझे घमंड किस बात का है
तेरी जायदाद का बंटवारा होगा
तुझ पर ही लोग सवाल उठाएंगे
तूने अपनों पर चाहत लुटाया है
तेरे चाहने वाले तेरे पास नहीं आएंगे
तू बहुत प्यार करता था पैसों से
लोग पैसों के नाम पर बिक जायेंगे
तेरी सारी कमाई उनके नाम होगी
तेरे ही पैसे तेरे हाथ नहीं आएंगे
बहुत मशहूर हैं लोगों की जुबान पे
तूझसे बेहतर जाने कितने ही आएंगे
ये जिनके दिलों में तू राज करता है
वो लोग ही तुझे भूल जाएंगे
माटी के तन को साफ करता रहा
मन के मैल कैसे साफ हो पाएंगे
तेरी राख भी मिट्टी में मिलेगी
और तेरी कब्र पर घास उग जाएंगे
याद रखना उमर भी ढल रही है
अब किस्सा कुछ रात का है
इतना क्यों अकड़ रहा है पगले
तुझे घमंड किस बात का है.