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Jalpa lalani 'Zoya'

Abstract

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Jalpa lalani 'Zoya'

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टूटा हुआ ख़्वाब

टूटा हुआ ख़्वाब

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मेरे  टूटे  हुए ख़्वाब  की, गुनहगार  वो  रात  हुई

अँधेरे  में रोशन थी जो रात, हक़ीक़त में राख हुई


चाँद हुआ था मजबूर, पूनम भी अमावस की रात हुई

चाहत थी ख़ुशनुमा सहर की, मगर अंधियारी शब हुई


रब भी ख़फ़ा  है मुझसे,  किस्मत भी शायद  रूठी हुई

पूरी करूँगी ख़्वाब की कहानी,जो अधूरी है लिखी हुई।


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