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Shalini Dikshit

Inspirational

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Shalini Dikshit

Inspirational

तट

तट

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जब भी बैठती हूँ 

समंदर किनारे,

कोशिश करती हूं

दूर बहुत दूर

उस पार देखने की,

टकटकी लगाकर

लगातार कोशिश

जारी रहती है।


शायद दिख जाए

उस पार अपना देश,

अपनी मिट्टी

हर बार यह कोशिश 

नाकाम हो जाती है।


फिर एक और कोशिश

इस बार आंखें बंद कर

मन की आंखों से देखती हूँ

फिर सब कुछ

साफ-साफ नजर आ जाता है।

 

खुश होकर आंखें खोल

समंदर का बहता पानी छू लेती हूँ,

यह सोच कर कि,

यही पानी उस तट पर जाता है।

फिर मन को एक सुकून सा आ जाता है

एक सुकून सा आ जाता है।


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