तस्वीर-ए-ज़िन्दगी...
तस्वीर-ए-ज़िन्दगी...
ज़िन्दगीनामा लिख रहा हूँ मैं
इतनी फुरसत से ...
कि हसरतों का पुल बांधे नहीं बंधता
मेरे ज़िन्दगी की ...
काफिला बढ़ता जा रहा है
मेरे अरमानों का ...
धड़कता है दिल मेरा
कुछ नया करने को !
एक लम्हा यूँ ही गुज़रता है आखिर
खामोशियाँ ज़िंंदा रखने को ...
बेपरवाह फक्कड़पन में जीये जाने की
आदत पड़ गई है मुझे ...
लाख कोशिशों के बावजूद भी
अब तो तन्हाईयों में भीड़ का
एहसास होता है मुझे ...