तृप्ति से मुक्ति
तृप्ति से मुक्ति
जब जीव कर लेता निश्चय
कुछ नही पाना रहा शेष
मन में हो जाती उसके तृप्ति
मिल जाती उसे पूर्ण मुक्ति
जब सह लेता वो हर वियोग
जब जीत लेता वो खुद को
मन में हो जाती उसके तृप्ति
मिल जाती उसे पूर्ण मुक्ति
इस संसार से परे होकर
साधता बस इंद्रियों को
मन में हो जाती उसके तृप्ति
मिल जाती उसे पूर्ण मुक्ति
कर्म के विधान से निकल कर
त्याग देता सब बंधनो को
मन में हो जाती उसके तृप्ति
मिल जाती उसे पूर्ण मुक्ति।