त्रिकोण बनाती कविता
त्रिकोण बनाती कविता
आज भी
कहीं न कहीं
किसी न किसी
मन्थरा की बातों में
कैकेयी आ जाती है और
जीवन से बाहर कर
किसी राम को
बना देती है
रामायण।
आज भी
कहीं न कहीं
किसी न किसी
मन्थरा की बातों में
कैकेयी आ जाती है और
जीवन से बाहर कर
किसी राम को
बना देती है
रामायण।