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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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तंत्र या षड्यंत्र

तंत्र या षड्यंत्र

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प्रिय डायरी का आज का लाक डाउन दिवस,

15 अप्रैल, 2020, बुधवार,बात करें दिन-निशि।


जी जान से हम लगे हैं,मगर है बिगड़ रहा क्यों तंत्र,

स्वाभाविक गड़बड़ हो रही,या है इसमें कुछ षड़यंत्र।


राष्ट्ररक्षकों पर आक्रमण है,एक जघन्य राष्ट्रद्रोह अपराध,

समस्त देश आभारी हैं इनका,आस्तीन सांप एक आध।


बांद्रा की ये भीड़ है,हमला इंदौर में या फिर मुरादाबाद,

युद्ध को निर्बल कर रहे हैं, सुने न निवेदन न कोई फरियाद।


खतरे में खुद को वे डालकर, खतरे में डालते हैं वे अपना ही परिवार,

वे परिजन-प्रियजन के शत्रु हैं हो रहे,क्या कर दिया है खत्म सब प्यार।


मानवता रिपु नहीं बने कोई, आत्मघाती कदम नहीं उठावे हम में से कोय,

सद्बुद्धि प्रभु दो सब ही को,जो विपदाकारी परास्त"कोरोना "शीघ्र ही होय।


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