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Amit Kumar

Abstract

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Amit Kumar

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तन्हाई पसंद

तन्हाई पसंद

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सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है

जाने कैसे इस बात पर

दिल उसका रज़ामंद है।


सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है

चारों और उसके

नाम की धूम मची है।


चाहने वालों की

खुशामदें दर उसके

खड़ी है

जाने किसी बात पर

सबमें अड़ा-अड़ी है।


लोग नाहक़ ही

उसके लिए जान

देने को आतुर है

फिर भी उसे

लगता है यह

दिखावटों की झड़ी है।


उसके दिल के तालों में

जाने कौन सा

राज़ अभी बंद है

सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है।


जाने कैसे इस बात पर

दिल उसका रज़ामंद है

सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है।


उसने कभी भी

लुभाया नहीं किसी को

न झूठी चाहत का

फ़लसफ़ा ही पढ़ाया किसी को।


उसका आमाल

खज़ाने है उसके

शायद इसीलिए लोग

दीवाने है उसके

उसकी नियते शौक पर

एक एक हर्फ़ भी

अपनी मर्ज़ी का

पाबंद है।


सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है

जाने कैसे इस बात पर

दिल उसका रज़ामंद है

सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है।


तन्हाइयों से उसका

बहुत गहरा सा रिश्ता है

उसका हर एक लम्हा

उसमें पल-पल रिसता है

उसकी बुर्ज़ुआ बातें

उसे आमिल फ़ाज़िल

बनाती है।


उसकी सभी अलामतें

उसे एक बेहतर और

क़ाबिल इंसान बनाती है

शायद यही वो

वज़ह है

लोग उस एक शख़्स को

इतने नापसंद है।


सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है

जाने कैसे इस बात पर

दिल उसका रज़ामंद है।


सुर्खियों में वो रहता है

जो तन्हाई पसंद है।


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