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Kavita Sharma

Abstract

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Kavita Sharma

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तिरंगा

तिरंगा

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आज तिरंगे का सम्मान उनकी आंखों में दिखता नहीं 

जाती और धर्म के नाम पर जो हैं लड़ रहे 

अपनी छवि बनाने के लिए बड़े वादे हैं किए जाते 

गरीबी को हटाने के उपाए नहीं किए जाते 


सुना है चांद पर तिरंगा है फहराया 

पर देश में हिंसा ने क्यों हाहाकार मचाया 

कहीं आंदोलन है किसानों का तो

कहीं महिला खिलाडियों पर ज़ुल्म है ढाया जाता

 

कैसी आज़ादी है यह जहां नारी सुरक्षित नहीं है आज भी 

न्याय मिलता नहीं अपराधी घूमता है खुलेआम ही 

तिरंगे का सम्मान होगा तभी दिलों में नफ़रत नहीं होगी जभी।


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