जून इक्कीस थकान में बीती , पलकें पूरी नींद में भीगी। जून इक्कीस थकान में बीती , पलकें पूरी नींद में भीगी।
दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने दे के समय अपना अपने पौधों को बनाए वृक्ष ताकि उनकी छाँव में रह सकें आपके अपने
यथार्थ...। यथार्थ...।
एक विचार...। एक विचार...।
एक शाम वक्त के नाम...। एक शाम वक्त के नाम...।
वक्त के बारे में एक कविता। वक्त के बारे में एक कविता।