Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Goldi Mishra

Others

4  

Goldi Mishra

Others

थिरकती घनघोर घटा

थिरकती घनघोर घटा

2 mins
368



नीरस सी झील को मैंने रस से भरते देखा है,

कलियों पर सोए उस हारे मन को मैंने उठते देखा है,।।

ये घनघोर घटाएं एक अनूठे राग से गूंज उठी हैं,

मन में बेचैनी महसूस होने लगी है,

सहसा देखा इन सुहानी बहारों को मैने,

ऐसा लगा एक उम्र जी ली हो मैने,।।

नीरस सी झील को मैंने रस से भरते देखा है,

कलियों पर सोए उस हारे मन को मैंने उठते देखा है,।।

झूम उठे है भवरे ओस की बूंदों में नहाकर,

शर्मा गई वो कोयल मीठा सा एक गीत गुनगुनाकर,

सूखी सी डाली पर छोटी कलिया फिर खिल उठी है,

शांत से आंगन में तितलियों ने कोई बात चीत शुरू कर दी है,।।

नीरस सी झील को मैंने रस से भरते देखा है ,

कलियों पर सोए उस हारे मन को मैंने उठते देखा है,।।

निराशा से भरा पतझड़ अब बीत गया,

पैरों में घुंघरू बांध थिरकता भादव अब आ गया,

फूलो से श्रृंगार करू या भवरों से बाते मै दो चार करू,

नित होता प्रकृति में ये परिवर्तन जी चाहता है उसे निगाहों में भरलू,।।

नीरस सी झील को मैंने रस से भरते देखा है,

कलियों पर सोए उस हारे मन को मैंने उठते देखा है,।।

बहार भादव की ओझल ना हो जाए,

ये अंकुर जो फूटे है जल्दी वृक्ष बन जाए,

हर शहर हर गली महक उठी है,

इन बहती घनघोर घटाओ ने एक ठंडक इस दिल को दी है,।।


,  


Rate this content
Log in