तेरी यादों की डोर
तेरी यादों की डोर
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सावन की घटा ,घिर के आई ,
बरसी घटा घनघोर
पावस के इस मौसम ,में
हरियाली , छाई ,चहुँ ओर ,
नाचे ,मयूरा , गाये कोयल
होकर ,मद ,मस्त , तन ,
प्यासी ,धरती की प्यास बुझाने ,
बरसी घटा ,घन घोर
इस सावन में , याद ,सताए ,
करे बैचेन ,मोरे मन को ,
हे ,बादल ,तू दे ,सन्देश
मेरी प्रिये को ना रूठे ,ऐसे ,
ना ,आंसू ,छलके ,
सावन की पुरवाई
लेकर आई , तेरी यादों की डोर.