तेरी डगर
तेरी डगर
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चला किसी डगर,
मगर लाया मंज़िल इधर।
देख आ गया फिर तेरे दर,
बस तेरी नज़रें हैं मुझसे बेख़बर।
पालूँ तेरी फिर झलक,
या चल पड़ूँ मूँदें पलक।
कैसे कहूँ तूँ ही बता,
हूँ डगर से मैं तेरी जुदा।
ऐ हमसफ़र काश की,
तू चलती मेरी डगर।
मन में उमंग भरकर,
संग ख़ुशियाँ लेकर।