तेरी आवाज
तेरी आवाज
एक लम्हा जो तेरी आवाज़ सुनकर गुजारा था हमने
जाने कैसे- कैसे खुद को ही फिर सँवारा था हमने।
तेरी आवाज में जाने क्या मदहोशी थी खो गए हम
लगा पहली नजर में जैसे तुमको निहारा था हमने।
मुझ पर इल्ज़ाम लगाकर दिल तो दुखाया था तुमने
मोहब्बत थी बहुत तुमसे इसलिए पुकारा था हमने।
शिकायत है तुमसे कोई न ही अब कोई गिला रहा
तेरी आवाज का तीर जो सीने में उतारा था हमने।
उस रात मेरे दीवाने को शक हुआ था मेरी नियत पर
कई दफा "नीतू" के दिल का आईना निहारा था हमने।