तेरे प्यार में ज़िंदा रहूँ
तेरे प्यार में ज़िंदा रहूँ
जहाँ किरदार किरदार से जुदा न हो,
जहाँ प्यार प्यार से जुदा न हो,
जहाँ एक नाम में छिपे दो नाम हों,
जहाँ इंसान इंसान से जुदा न हो !
जहाँ पर कोई फासला न हो,
दूरियों की कोई भाषा न हो,
मोहब्बत नज़्म में यूँ घुल जाए,
जाम की कोई आशा न हो !
जहाँ भेद अनेक ही मिल जाएँ,
समझ से फिर वो ढह जाएँ,
जहाँ न तू रहे, न मैं रहूँ,
हम दोनों घुल कर बह जाएँ !
वो इश्क़ का एक नगमा हो,
वो प्यार का एक सपना हो,
तेरी नज़रों की मुझ पर इनायत हो,
कि फिर तू ही मेरी इबादत हो !
मैं तेरे जैसा नहीं, तुझमें रहूँ,
मैं अधूरा-सा, तुझसे पूरा रहूँ,
मैं रहूँ फिर, या न रहूँ,
तेरे प्यार में ज़िंदा रहूँ !

