तेरे होने लगे
तेरे होने लगे
तुम्हारे शहर में क्या हम आए हौले-हौले तेरे होते रहे,
क्या जादू था तेरी आँखों में हम खुद को कतरा-कतरा खोते रहे।
दिल की अंजुमन में स्थापित कर तुझे,
मदहोश हम कितना होते रहे,
ये कैसा नशा है शामों सहर तुझे ही पीते रहे।
रकीब मेरे कुछ तो बता क्यूँ हम तुझ में सबकुछ डूबोते रहे,
भूला दी दुनिया सारी एक तेरे तलबगार होते रहे।
न मैखाने की दहलीज़ देखी न बूँद चखी जाम भर,
आलम है फिर भी नशेमन में हम तौबा कितना बहकते रहे।
जादू है तेरी आँखों में या तेरे शहर की हवा शराबी,
जब से कदम रखा है साहब दम ब दम यहाँ के होते रहे।
मजमे उमटे इंसा के हर चेहरे में तेरा अक्स दिखे,
कैसे वापसी का मन बनें जिस शहर की एक गली में मेरा महबूब रहे।