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Archana Saxena

Classics

4.5  

Archana Saxena

Classics

तारे खुद ही तोड़ लाऊँगी

तारे खुद ही तोड़ लाऊँगी

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217


मत जतलाओ मेरे लिये किसी हद तक भी जा सकते हो

मैं जो कहूँ तुम आसमान से तारे तोड़ के ला सकते हो

प्रेम अगर इतना गहरा है फिर उसमें विश्वास भी होगा

यदि भरोसा नहीं दूजे पे प्यार तो बस खोखला ही होगा


फिर जब मैं कुछ करना चाहूँ अगर स्वयं के बलबूते पर

तोड़ते हो तुम मेरी हिम्मत मेरी फिक्र का दम भर कर

इसको कैसे कहेंगे परवाह

साथ यदि मेरा न दिया ?


एक कदम जब मैंने बढ़ाया वापस तुमने खींच लिया

बात तो तब है पंख मेरे उड़ने से पहले कतरो नहीं

उड़ने दो मुझे आसमान में पाँव जमीं पर जकड़ो नहीं

साथ तुम्हारा मुझको भाता इसमें नहीं कोई शक मुझको

पर मैं कब तक उँगली पकड़ूँ सीखना होगा सब मुझको


थोड़ा सा विश्वास तो करो मैं भी नहीं हूँ तुमसे कम

तुम बस बेड़ी में न जकड़ो दिखला दूँ फिर अपना दम

खुलकर पंख पसारना चाहूँ

भरने दो इक लम्बी उड़ान

देखने दो मुझको भी दुनिया

मैं भी पा लूँ कुछ सम्मान


अपने ही दम पर फिर यदि मैं

छूकर आयी जो आसमान

तारे खुद ही तोड़ लाऊँगी 

खुद मैं सजाऊँ अपना जहान।


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