तानपुरा
तानपुरा
भारतीय संगीत का लोकप्रिय तंतवाद्य यंत्र है तानपुरा या तम्बूरा,
शास्त्रीय संगीत के साथ हर संगीत में प्रयोग इसका होता आ रहा।
रूप रंग बिल्कुल सितार जैसा किंतु आकार में थोड़ा बड़ा तानपुरा,
बड़े-बड़े गायकों को गाते वक्त़, मिलता जिससे स्वर का सहारा।
कहा जाता है तुम्बरू नामक गंधर्व ने किया था तम्बूरे का निर्माण,
एक तार पहले इसमें फिर दो-तीन चार अब छःसे इसकी पहचान।
संगीत गायन का प्रमुख वाद्य यंत्र ये वादन नृत्य में इसका प्रयोग,
बनता है इस तानपुरे से संगीत में रस एवं प्रभाव का अद्भुत योग।
मूल नाद कहलाता है वो प्रथम आघात से उत्पन्न होता है जो स्वर,
सहायक नाद भी उत्पन्न होते कुछ इनसे, कहलाते हैं स्वयंभू स्वर।
भारतीय शास्त्रीय संगीत में, तानपुरा का है एक महत्वपूर्ण स्थान,
मधुर इतना स्वर इसका जो गायक को दे गायन की ऊंँची उड़ान।
अद्भुत अलौकिक आनंद की प्राप्ति इससे, मन को करती झंकृत,
सोलहवीं शताब्दी के अंत ये आधुनिक रूप में हो गया विकसित।
उंगली से छेड़ा जाता इसके तारों को जो छेड़ देती है मन के तार,
तानपुरा संग जादू बिखेर देते हैं वातावरण में गायन के कलाकार।