"ताज़ा हो गई यादें बचपन की"
"ताज़ा हो गई यादें बचपन की"
याद आती है हमेशा वो बचपन की दीपावली
रूठना-मनाना, कहानी-किस्सों की अदा मतवाली
बड़ी खुशी हो रही है यूं बच्चों को देख
घर पर ही रचा रहे गुड्डा-गुड्डी की शादी
नमकीन मुरमुरे और राज़गिरे के लड्डु
मास्क लगाएं चहचहाते हुए खेल रहे
विष-अमरूद और छिपनछिपैया
शैतानी कर रहे बचपने को आवाज़ लगाती दादी
लगा ऐसे कि पुराने दिन वापस आ गए रे भैय्या
अपन भी पुनः बचपन जी लो फिर से मोरी मय्या!