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Bhavna Thaker

Romance

4  

Bhavna Thaker

Romance

सवाल ही नहीं

सवाल ही नहीं

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तेरी नफ़रत भी मंज़ूर है 

करके तो देख सर आँखों पर 

न चढ़ा लूँ तो कहना 

महबूब तेरा मोह 


मेरी चाहत को इतना क्यूँ है 

तेरी नज़र अंदाज़गी का कायल 

मेरा दिल इतना क्यूँ है

दुआ न दे ना सही 

बददुआ में भी असर ढूँढ लूँगी 


दे कर तो देख 

तड़पती तमन्नाएं मांग रही है

उस राह से मुझे गुज़रना ही नहीं

जिस राह पर तुम्हारे पदचिन्ह न हो

तुम्हारी खुशबू साँसों में भरकर 

चैन से जी लूँगी 


रुबरु न मिलो ना सही 

तुम्हारी परछाई से इश्क कर लूँगी 

तुम मेरे हो न हो न सही 

बस फ़ुर्कत न देना 


मैं ताज़िंदगी तुम्हारे नाम रहूँगी

कुचा-ए-जान में बसे हो 

मैं भले तुम्हारी नज़रों में कुछ भी नहीं 

दिल तुम्हारी ही हर अदा पर 


जाँ निसार करता है मैं मजबूर हूँ 

किसी ओर से दिल लगाने का 

सवाल ही नहीं।


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