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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"स्वाभिमानी"

"स्वाभिमानी"

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जो लोग खुद ही कर रहे हैं,भारी बेईमानी

वो ही लोग उपदेश दे रहे हैं,हमे खानदानी

जिनके घर यहां बने हुए हैं,शीशे के जानी

उन्हें न करनी थी,पत्थर फेंकने की नादानी


शर्म से खुद हो जाएंगे,एकदिन पानी-पानी

जिसदिन मिल गया,कोई व्यक्ति स्वाभिमानी

जो यहां पर बाते करते रहते है,बस जुबानी

ओर अपना कर्म न करते है,ज़रा भी मैदानी


वो ही लोग उपदेश दे रहे है,हमे खानदानी

पर वो लोग सुन ले,साखी जिगरा है,चट्टानी

जितना टकराओगे,उतना बन जाओगे पानी

उनसे सतर्क रह साखी,जिनकी मधुर वाणी


पर भीतर दिल में रखते है,जो काला पानी

तू मिटाना तम,बनना सच तलवार सुलेमानी

एकदिन हारेगी,बेईमानी जीतेगी ईमानदारी

तू नही करना कथनी करनी में अंतर,जानी


बनना सत्य,रोशनी का सैनिक बड़ा तूफानी

हारेगा झूठ,तम,जीतेगा सत्य,श्वेत रूमानी

जो सूरत न,सीरत देखते है,दुनिया मे यानी

वो पहुंचते,माउंट एवरेस्ट हिमालय हिमानी


उनकी लिखी जाती है,इतिहास में कहानी

जो व्यक्ति होते है,प्रताप जैसे स्वाभिमानी

उनके घमंड की टूटती इमारतें,आसमानी

जो गर टकराने की जुर्रत करे,स्वाभिमानी।



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