स्वाभिमान
स्वाभिमान
कोई बढ़ रहा ज़रा हाथ दे
कोई हो तन्हा ,थोड़ा साथ दे
चलता चले, रुकना नहीं
ये कारवाँ ये सिलसिले
कभी हो फ़िक्र, न मायूस हो
बदलेंगे हर हालत ये
ना टूटे कभी, देख हौंसला
ना झुके कभी सर तेरा
कुछ ऐसा कर, सफल हो जाए
जीवन तेरा, जीना तेरा
लिख इतिहास अपने हाथ से
ना लड़खड़ा, जज़्बात से
बन जा अमर के सदा याद रहे
कोई कैसे लड़े, स्वाभिमान से।