सुनो-सुनो मेरी कहानी...
सुनो-सुनो मेरी कहानी...
जैसी भी है मेरी लेखनी...
जैसी दिखी, वैसी लिखी !
हो सकता हैं तुम्हे अच्छी ना लगे...
सुनो-सुनो मेरी कहानी...
अच्छी कहो या बुरी, ऐसी-वैसी...
कुछ भी कहो बहकी-बहकी सी !
चाहे कहो बिलकुल भद्दी , फटी पुरानी
सुनो-सुनो मेरी कहानी...
मैं लिखूँ या ना लिखूँ मेरी मर्जी...
पढ़ना हो तो बेशक पढ़ो, नहीं तो आगे बढ़ो !
भला किसने तुम्हें रोका है, ना कभी टोका है...
सुनो-सुनो मेरी कहानी...
प्रेमकथा, एक अनसुलझी बिलकुल विरानी है...
अच्छी है या सच्ची, जैसी भी है पर मेरी है !
मुझे तो लगती ही है बड़ी प्यारी सी
सुनो-सुनो मेरी कहानी...
सुनने से पहले एक बार समझ लो...
यह जरुरी नहीं कि खुद की जिंदगी हो !
हो सकता है शायद तुम्हारी हो...
सुनो-सुनो मेरी कहानी...
एक लड़का था अंजाना सा, बिलकुल बेकार...
एक लड़की थी बड़ी प्यारी सी, सबसे अलग !
दोनों में प्यार हुआ,
बाकी सब बताना क्या जरुरी है ?
सुनो - सुनो मेरी कहानी...
अच्छा भाई बताता हूँ...आगे क्या होना था ?
फिर एक बार...पारो-देवदास, हीर-रांझा !
किशन-कन्हैया और मीरा दीवानी सा हुआ...
सुनो-सुनो मेरी कहानी...