सुनो पथिक
सुनो पथिक
सुनो पथिक
किस पथ जाना है
दिन-बा-दिन ढलता जिंदगी का रथ
क्या यह मार्ग जाना-पहचाना है…?
कच्चे रास्ते
ऊबड़-खाबड़ पगडंडियाँ
फिर भी यहाँ मौसम
बड़ा सुहाना है।
कुछ दिन की उजली रंगीनियाँ हैं
कुछ रात के अँधयारे हैं
फिर भी इस पद के
सारे रास्ते हमारे हैं।
कभी रास्तों की फिसलन
और ठोकरों ने गिरा दिया
मगर अगले ही पल उठाकर
बड़े प्यार से गले लगा लिया।
यहाँ रास्ते पथरीले, कंटीले
या हो हठीले
हमें इन्हीं के सहारे हैं।
सुनो पथिक
किस पथ जाना है
यह जग तो बेगाना है
क्या यह रास्ता जाना पहचाना है…?
ना यह जग बेगाना है
ना हम बेगाने हैं
बस आने-जाने के फेर में
तस्वीरों का बदल जाना हैं।
सुनो पथिक
सुनो पथिक
किस पथ जाना है
दिन-बा-दिन ढलता जिंदगी का रथ
क्या यह मार्ग जाना-पहचाना है…?
कच्चे रास्ते
ऊबड़-खाबड़ पगडंडियाँ
फिर भी यहाँ मौसम
बड़ा सुहाना है।
कुछ दिन की उजली रंगीनियाँ हैं
कुछ रात के अँधयारे हैं
फिर भी इस पद के
सारे रास्ते हमारे हैं।
कभी रास्तों की फिसलन
और ठोकरों ने गिरा दिया
मगर अगले ही पल उठाकर
बड़े प्यार से गले लगा लिया।
यहाँ रास्ते पथरीले, कंटीले
या हो हठीले
हमें इन्हीं के सहारे हैं।
सुनो पथिक
किस पथ जाना है
यह जग तो बेगाना है
क्या यह रास्ता जाना पहचाना है…?
ना यह जग बेगाना है
ना हम बेगाने हैं
बस आने-जाने के फेर में
तस्वीरों का बदल जाना हैं।