सुनो न...
सुनो न...
मेरे दिल की सुनो . . . ना
ऐ हमदम आज तो मेरे दिल की सुनो ना,
मुझे तुमसे अभी कितनी सारी बातें करनी है।
हम कितने सालों साथ रहे।
कितने हसीन लम्हे साथ में बिताए।
कितना कुछ तुमने कहा मैंने सुना
मैंने कहा तुमने सुना |
फिर भी ना जाने क्यों लगता है ।
बहुत सारे अनकहें जज्बात अभी बाकी है ।
वो पल जो साथ बिताए थे ,
उन पलों का एहसास अभी बाकी है ।
मेरे दिल की सुनो ना . . .वह कहता है कि
तुम्हारी पहली किस का एहसास
मेरे गालों पर अभी बाकी है।
वो जो साथ बैठकर दरिया किनारे
ढलता सूरज देखा था ना ।
उसकी तपिश और तुम्हारे हाथों का
मेरे हाथों पर अधिकार अभी बाकी है ।
तुम जो बहते हो मेरी रगों में लहू की जगह
मेरे सांसों में तुम्हारी खुशबू और
कानों में धड़कनों की गूंज अभी बाकी है I
कैसे मान लूं तुम चले गए हो मुझे छोड़कर
अभी तो तुम्हारें वजूद के साए का
मुझे आगोश में लेने का एहसास बाकी है।
इतना आसान नहीं है हमें छोड़ कर जाना
वो जो थी बहुत सारी शिकायतें और तकरार
उनका समाधान अभी बाकी है।
वो जो तुमसे किया था बेइंतहा प्यार
उसका इकरार अभी बाकी है।
अभी तो दिल के जज्बात सुनने बाकी है,
अभी तो दिल के जज्बात सुनाने बाकी है।