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Mr. Akabar Pinjari

Drama

5.0  

Mr. Akabar Pinjari

Drama

सुबह का भुला

सुबह का भुला

1 min
241


हज़ारों सपने जोड़कर,

लाखों दिलों को, तोड़ कर,

चंद खुशियां कमाने दौड़कर,

मैं गया सब कुछ छोड़कर।


लाखों ताने सुने,

हजारों बहाने बुने,

नए फ़ैसलें चुने,

क्या नहीं किया तूने।


गया कमाने तू विदेश,

छोड़कर अपना देश,

ना आया कोई संदेश,

अब लौटकर आ निवेश। (मकान)


मां की ममता रूठी,

बाप का प्यार लूटा,

पत्नी का प्यार टूटा,

बच्चों का दुलार छूटा।


तुझको भी दर्द होता है,

हमको भी दर्द होता है,

अश्कों से बहते हैं मोती,

आस में गई जीवन की ज्योति।


तुझको भी दर्द होता होगा,

तू भी चुपके से रोता होगा,

यह कैसी कमाई है भाई,

याद में, तू भी कहा सोता होगा।


सुनी हो गई, दिल की दिवाली,

बेरंग लगे हैं, अब यह होली,

सुनकर लोगों की, बेढंगी बोली,

दे चोटें जैसे, बंदूक छूटें से गोली।


अब तो आजा यार,

लगते जिगर के द्वार,

छोड़कर पराया प्यार,

कर सात समुंदर पार।


तू खुद को, सुबह का भूला पाएगा ,

जो लौटकर शाम तक आएगा,

तो तुझे भूला नहीं कहा जाएगा,

बस, अपना ही माना जाएगा।


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