सतरंगी जीवन
सतरंगी जीवन
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रूठ गया गर हम सफर तो
थोड़ा झुक कर मनाया जा सकता है
कहते कहते भी कुछ राज छुपाया जा सकता है
हंसते-हंसते भी हाल ए दर्द सुनाया जा सकता है
रीता रीता सा हुआ मन
तो गुनगुना कर बहलाया जा सकता है
अकेलेपन में खुद से मिलकर खुद को
पहचाना जा सकता है
रंग है कई फिजा में फैले
डूब कर इनमें जीवन को
सतरंगी बनाया जा सकता है