स्त्री का सम्मान
स्त्री का सम्मान
स्त्री का सम्मान
स्त्री के सम्मान का अर्थ .
बहुत गहरा है ..
यह केवल व्यवहार
से सम्बन्धित नहीं .
यह केवल चरित्र
से सम्बन्धित नहीं ,
यह सम्बन्धित है
स्त्री की इच्छा से ,
यह सम्बन्धित है
स्त्री के ' न . से ,
यह सम्बन्धित है .
हर काम करने की
आजादी से ,
यह सम्बन्धित है
उसके टाइम टेबिल को
सम्मान देने से,
यह सम्बन्धित है '
उसके मनपसंद खाना
बनाने व खाने से ,
स्त्री का सम्मान ,
सम्बन्धित है ,
अपना काम खुद करने से
ताकि , स्त्री अपना आराम कर सके ,
स्त्री का सम्मान
शब्दो से नहीं
मन की भावना से सम्बन्धित है
उसे देवी नही . महज
इंसान माना जाए
कि . घर बच्चो को
सम्भालना
केवल उसका ही
काम न माना जाए .
यह सम्बधित है
कि , उसकी राय को
बराबर महत्व दिया जाए .
कि जैसे उसका बाहर काम करना जरूरी नहीं .
कि , डाक्टर इंजीनियर
ऑफिसर बनना . जरूरी नहीं
वैसे ही ' वह खाना बढ़िया
बनाए,
अनोखे व्यंजन बनाए .
जरूरी नहीं ..
घर . बच्चो से अलग भी
उसका अस्तित्व . व्यक्तित्व हो सकता है .
सबसे पहले खुद की
परवाह करे , सही हो सकता है
पुरुषों को छोड़ो नारी मन
अभी परिपक्व नहीं .
कि ऐसा सम्मान पाना
बहुत सी स्त्रियों की समझ नहीं ...
इसी से कहा जाता है
दिल्ली अभी दूर है
सम्मान न मिल पाने
में, स्त्री का ही कसूर है।