सृष्टि का सृजनहार
सृष्टि का सृजनहार
ईश शक्ति ने, रचा सुंदर जहान है।
हाथ जोड़ के, खड़ा ये आसमान है।।
पर्वत गाते, तेरा स्वागत गान हैं।
दीन -हीन के, जीवों के भगवान हैं।।
वायु - नीर भी, गाते तारनहार को।
भक्त - संत भी, पाते है प्रभु प्यार को ।।
सिंधु, धरा भी, तेरा रूप, प्रकार है।
छाया प्रकृति में, तेरी अजब बहार है ।।
होय पंगु पर तेरी कृपा महान है।
देव भी करें, तेरा ही गुणगान हैं।।
है दुनिया का, न्यारा खेवनहार तू।
नाथ लगा दे, ' मंजु ' नाव भव पार तू ।।