सर्दीयों की बारिश
सर्दीयों की बारिश
खूबसूरत लगती हो,
पूरा माहौल बदल देती हो।
सालों से देखा है एक वक़्त
तेरे आने का।
जब गर्मियाँ लेती थी करवटें,
तेरे आमद का वक़्त होता था।
अब मानो बदले हुए हैं मिजाज़ तुम्हारे,
मन मर्ज़ियाँ करने लगी हो तुम।
कभी आती हो तूफानों सी ज़ोर से
नहीं तो महीनो नहीं दिखती।
अब तो जैसे किसी अनचाहे
मेहमान की तरह आ धमकती हो।
ये कोई वक़्त है आने का ?
सर्दियों का मौसम है!
और तुम अपने से पहले ही
आ कर बरसी हो।
थोड़ा सब्र करो!
दिन जाड़ों के हैं,
सुनहरी धूप के हैं।
रुक जाओ कुछ दिन
इंतज़ार करो।
के तुम्हें लगाऊँगा गले
जैसे जाड़ों में गर्म रज़ाई,
ओढ़ कर करता हूँ
मुहब्बत सर्दियों से।
आख़िर तुमसे ही तो
बनी हैं बहुत सी
खूबसूरत यादें
मेरी ज़िन्दगी की।