सपने
सपने
सोचता था मैं भी एक बात को ...
सपना क्यों आता
जब हम सोते रात को!
कुछ सपने जिन्दा होते,
देते जीवन को आकार वो!
जीवन के सपनो के हैं
प्रकार दो
वक़्त रहते उनको पहचान लो!!
सोते सोते देखे सपने
सोते ही रह जाते हैं
कुछ करना,बड़ा करना
बस कहते ही रह जाते हैं!
जागे जागे मेरे सपने
मुझको रोज़ जगाते हैं!
सोना चाहूँ फिर भी मुझको
वक़्त का अहसास कराते हैं!
कुछ बड़ा करना मैं चाहता
सब साथियों का साथ भी चाहता
नाम के बस वो "साथी" निकले
ना कोई सच्चा साथ निभाता!!
क्या बिना धूप के पुष्प खिला है?
क्या हवा से पाषाण हिला है?
संघर्षो में तो जीना होगा,
बिना मरे किसे मोक्ष मिला है?
क्या कहेंगे क्या कहेंगे?
बताओ लोग भी क्या कहेंगे?
लोगो की तो लोग ही जाने
हम तो बस अपनों को माने!
पाओ सफलता चाहे तुम
लोग तो बस देंगे ताने!
सबसे ऊपर उठना तुम
संघर्षो से न डरना तुम
बड़े जंगल के शेर तुम्ही हो
सियारो के आगे न गिरना तुम!
तेरे संघर्षो की कहानी बनेगी
दुनिया तुझे देख सयानी बनेगी
वक़्त का इंतज़ार तो कर
लहर है तू, एक दिन जरूर सुनामी बनेगी!!
सबकी फ़िक्र को छोड़ दे मनवा
फ़िक्र थोड़े ही जिताएगी
मेहनत करता जा रे "हेमंत"
यही सफलता दिलाएगी!!