फिर कुछ सपने चमके ,
आँखों में इस तरह ,
जैसे बचपन में कभी ,
हुए पूरे सपने जिस तरह |
बचपन और ज़वानी ,
कभी एक जैसी नहीं होती ,
तब मिलते सपने खुद से ,
पर अब ढूंढने पड़ते हैं मोती |
उम्मीद पर है भरोसा ,
अपने भी दिन फिरेंगे कभी ,
कोई तो रास्ता जाता होगा ,
उस नई डगर में कहीं |
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