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SURYAKANT MAJALKAR

Romance

2  

SURYAKANT MAJALKAR

Romance

सपना-चाहत

सपना-चाहत

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तुमसे मन खुला करुँ।

जो गल्तियाँ की है मैंने,

उसके लिये माफी माँगू।


रोज तेरी पूजा करुँ।

अपने दिल को समझाऊँ।


आसान नहीं है चाहत को

पूरा करना।

तेरे दिल वहम को दूर करना।


कुछ ऐसा करुँ,

खुद को भुल जाऊँ 

और तेरे लिए दुआँ करुँ।


मगर मैं यह जानता हूँ-

सपना हो या चाहत

ये आजमाने की बात है।


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