“ सफर में साथ “
“ सफर में साथ “
मैं कभी भी अकेला नहीं,
किसी सफर पर चला हूँ !
साथ मेरा गर छूट गया,
फिर और कहीं मिला हूँ !!
क्या बड़ा, क्या छोटा है,
सबों के साथ चलना है !
सफर में सब मुसाफिर,
मुझे एक साथ रहना है !!
हाथ बच्चों का पकड़,
उस पार मैं ले जाऊँगा !
बुजुर्गों को प्यार से ही,
उनकी राह दिखलाऊँगा !!
अकेले नहीं कोई रहा है,
कोई ना काम हो सकता !
सफर में साथ हो कोई,
तभी अंजाम हो सकता !!
कभी जीवन में किसी को,
तुच्छ कभी नहीं कहना !
सबको आदर और प्रेम,
से सत्कार तुम करना !!