Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Kavi Amit Kumar

Drama

2  

Kavi Amit Kumar

Drama

सफर और मंजिल

सफर और मंजिल

1 min
245


सफर में रहना ही मेरा मकसद है

अंजाम से मैं गुजरना नहीं चाहता

एक भीड़ सी है मेरी जिंदगी

अकेला मैं चलना नहीं चाहता।


सुकून के पल की तलाश सुकून से करूँ

वो सुकून में पाना नहीं चाहता

सभी अरमान धोखे में रखते हैं हमें

एक और अरमान की अरमान दिलाकर

अब एक और अरमान मैं लेना नहीं चाहता।


ईमानदारी और कुछ नहीं

एक आईना है बस

वो आईना मैं देखना नहीं चाहता

कबीर से मेरी बात हुई

उन्होंने बताया, तू सच्चा है

बस बेईमानी इतनी कि तू मानना नहीं चाहता।


यहां आकर क़लम मेरी रुक गयी

इधर उधर जंजाल लेके घूमा हूँ

सीधी लकीर मैं खींचना नहीं चाहता

पता नहीं क्या डर है, इसे सीधी लकीरों से

लगता है खुद को आइना बनाना नहीं चाहता।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama