सॉनेट
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तुम बिन मैं नही
मुझ बिन तुम नही
फिर ये कैसा प्यार है
जहां तुम नहीं
बस तुम्हारी यादें है
तुम्हारी बातें हैं
संग गुज़ारी वो राते है
जब चाँद की चांदनी में
तुम मुझे अपलक निहारा करते
और मैं शरमा जाती
तुम चूमकर मेरे माथे को
अपने होने का अहसास कराते
आज सब है चांदनी रात है
लेकिन बस तुम्हारा साथ नहीं।