सोच
सोच
जीना कब शुरू करोगे,
अगर हर पल यूँही,
याद और कल्पना में बिता दोगे,
वक़्त रेत की तरह फ़िसलता चला जाएगा,
और फिर,
अफ़सोस और इच्छा की कश्मक़श में,
यूँ ही पिसते चले जाओगे!
इसलिए जीना शुरू करो,
पल ये जी भर के जीओ,
ना बीते हुए वक़्त का ग़म,
ना आने वाले समय की चिंता!