संत नामदेव.
संत नामदेव.
महराष्ट्र भूमि को प्रकृति का मिला वरदान,
शुर-विर योद्धा, समाज सुधारक, साधुसंत उसकी शान।
उसी मिट्टी में पैदा हुए बड़े संत नामदेव महान,
बारहवीं सदी का एक अनमोल बहुजन रत्न।
नरसी हिंगोली था संत नामदेव का जन्मस्थान,
पंढरपुर के पांडुरंगके भक्त थे आजीवन।
बहुजन संग, पांडुरंग को सुनाते रोज भजन-कीर्तन,
खुश होकर नाचती नामदेव संग स्वयं पांडुरंग।
मंदिर में बहुजन संग सामूहिक नित्य सहभोजन,
सभी जात-पात व धर्म के भक्त पांडुरंग को एक समान।
समाज सुधारक नामदेव ने छेड़ा जन-आंदोलन,
नामदेव समाज सुधार कार्य प्राचीन काल में रहा महान।
माता-राजई बनी थी नाम की जीवन अर्धांगिनी,
चार-पुत्र व एक पुत्री से परिवार था संपन्न।
बहुजन व परिवार संग दैनंदिन विठ्ठ्ल भक्ति गान,
भागवत धर्मप्रचारक ख्याति रही थी आजीवन।
भागवत धर्म प्रचार-प्रसार हेतु उत्तर भारत को भ्रमण,
दो-दशक उत्तर भारत में पंजाब बना निवासस्थान।
भक्तजन ,भागवत गीता का मराठी भाषान्तर,
संस्कृत, मराठी, हिंदी, पंजाबी भाषा ज्ञान।
गुरुग्रंथ साहेब नामी नामदेव के एक्सठ पद अभंग,
शाबदा, वारकरी कीर्तन हैं सभी एक समान।
नामदेवबाबा के मंदिर उत्तरी भारत में बहुस्थान,
उत्तरी भारतीय बहुजन की नामदेवबाबा में आस्था महान।
वारकरी पंथ पदयात्रा कर्नाटकवासी,
प्रथम शुभारंभ पंढरपुर, पाडुरंग चरणी आगमन।
बहुजन वारकरी पंथ मराठी भक्तजन ,
कर्नाटकवासी संग प्रतिवर्ष नित्य आगमन।
नामदेव परिवारसंग ली जीवित समाधी,
प्रथम सीढ़ी देवस्थान पांडुरंग दर्शन।
वारकरी धूलस्पर्ष पदकमलों से समाधि पावन,
वारकरी पदयात्रा नित्यवर्ष पंढरपुरी बहुजन।
ज्ञानेश्र्वर, नामदेव मराठी संत समकालीन,
बहुजन मुक्तिमार्ग, नामदेव पांडुरंग भक्तिलिन।
वारकरी आनंदसे गाते नामदेवी भजन-किर्तन,
नामदेवा चि गाथा, समाधि तीरथावलि,
आदि हैं नामदेव के सुप्रसिद्ध लिखान।