सन्देश
सन्देश
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कमज़ोर वक्त में तुम्हें भी सताया जाएगा,
हर उठा सर खिलाफ़त में झुकाया जाएगा,
जश्न है आज मेरी आज़माइश का तो क्या,
एक रोज़ यहां तुम्हें भी आज़माया जाएगा।
मैं पागल हूँ, यूं हूँ कि सबसे अलग हूँ,
यूं ही, बेवजह, बेसबब हूँ,
आज मेरी फांसी है और सही है,
कल तुम्हें भी तो जिंदा जलाया जाएगा,
एक रोज़ यहां तुम्हें भी आज़माया जाएगा।
मैं पाप से तर,
हूँ पैग़म्बर मगर पापियों का,
झूठ को पुष्पों से यूं सजाया जाएगा,
आज मुझपे है तो मानलो तुम भी,
कल इल्ज़ाम ये तुमपे भी लगाया जाएगा,
एक रोज़ यहां तुम्हें भी आज़माया जाएगा।