संदेश
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जब होती देने की फितरत सबकी ।
दुःख और आँसू का अस्तित्व न होता ।।
जब होती चाह गले मिलने की ।
गलेl का काटना यूँ आम न होता ।।
जब होती देने की फितरत सबकी ।
दुःख और आँसू का अस्तित्व न होता ।।
जब होती चाह गले मिलने की ।
गलेl का काटना यूँ आम न होता ।।