संदेश
संदेश
रहे देश विदेश
भेजे जन संदेश,
दिल जोडऩे की
विधा बची शेष।
पैदल जाता था
संदेश पहुंचाता,
कबूतर है आया
चि_ी ले जाता।
समय बदला है
बदला है संदेश,
तकनीक बदले
धीरे धीरे भेष।
चिट्ठी जग आई
जन को लुगाई ,
भर के संदेश से
वह खूब सजाई।
तब फिर छाया
फोन का जरिया,
घट गई दूरियां
घटा है नजरिया।
आधुनिकता की
आ गई है बारी,
यह था नया मोड़
वे तकनीक छोड़।
अब चंद ही पल
पहुंच जाए विदेश,
अभी बदलना है
तकनीक हैं शेष।
संदेश दिलों की
कहलाते हैं जान,
दिल की धड़कन
है जान पहचान।
संदेश बिना सब
जीवन ही अधूरा
भेजो संदेश कुछ
कर लो फर्ज पूरा।