संदेश
संदेश
कभी-कभी है लगता ऐसा, मुझसा नहीं कोई
बनी है यह दुनिया मेरे लिए, बस मेरे लिए
रंगत-रौनक इस जहान की,चाहत सभी की
मेरी किसी फ़रमाइश ने 'न' न सुनी अब तक
हुआ अन्याय मुझ पर कितना बड़ा, तब जाना
जब ज़िन्दगी ने अचानक, दिया कड़ा संदेश
जो समझे ख़ुद को ख़ुदा, हो जाएगा जुदा
पलक झपकते ही, अपने यारों से, प्यारों से !