समय है
समय है
समय है
हम हैं,तुम हो
किस्से हैं
खबरों में भी किस्से हैं
राजनीति में भी किस्से हैं
शासन में भी किस्से हैं
प्रशासन में भी किस्से हैं
और धर्म या ईश्वर की बात करें
तो ये तो सिर्फ किस्से हैं
होते तो आदमी जीता
किस्सों से अलग।
हां बाकी जो भी किस्से हैं
हर जगह मौजूद हैं
खबरों से जन चर्चाओं तक
सच होते तो इतने किरदारों की
क्या जरूरत थी
उन्हे सच साबित करने की
सब शोर ही तो हो गयीं है।
फिर भी लोग अपनी अपनी कहते हैं
और अपनी अपनी सुनते हैं
ये बात और है काबिले गौर कि
अपने भी कहां हैं लोग।