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Janvi Choudhury

Tragedy

4  

Janvi Choudhury

Tragedy

समस्या ही समस्या हैं

समस्या ही समस्या हैं

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कहते रहते हैं ईश्वर को, कि हमें ख़ुशी क्यों नहीं प्राप्त हो रही है,

तो कहीं कोई ख़ुशी मिलते ही ईश्वर को भूल जाते हैं।


कोई खुश होके भी खुश नहीं है,

तो कहीं कोई खुशी न मिलने पर भी छोटी -छोटी चीज़ों में अपनी ख़ुशी ढूँढा करते हैं।


कोई मन अभागी है,

तो कहीं कोई तन अभागी हैं।


कोई सब होके भी चिंतन में है,

तो कहीं कोई कुछ न होके भी अपने में मगन हैं।


कोई छत के नीचे रहके भी नींद का मारा है,

तो कहीं कोई रास्ते पर ही अपनी बिस्तर बिछा लेते हैं।


कोई पेड़ काट कर ईमारत को खड़ा कर रहा है,

तो कहीं कोई जीव पेड़ की छाया को अभी भी तरस रहे हैं।


कोई पानी मिलने पर उसे व्यर्थ फेंका करते है,

तो कहीं कोई एक बून्द पाने को तरस रहे हैं।


कोई गंगा और यमुना तट पर कूड़ा फ़ेंक उसे बर्बाद कर रहा है,

तो कहीं कोई क्रिया -क्रम करने चार कंधा ले, वहीं हरिद्वार पहुँचते हैं।


कोई पशु -पक्षी के लिए अपनी जान लुटा रहा है, अपने घर पर पनाह दे रहा है,

तो कहीं कोई उसी पशु -पक्षी को मार कर खा रहे हैं।


कोई भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए यहाँ राखी बंधवाता है,

तो कहीं कोई भाई दूसरे भाई के बहन को छेड़ते हैं।


कोई पिता -माता बच्चों के लिए सब करके भी आखरी स्थान वृद्धाश्रम पाते है,

तो कहीं कोई माँ -बाप को तलाशते -तलाशते अपनी पूरी उम्र काट देते हैं।


कोई अमीर होके भी दिल से गरीब है,

तो कहीं कोई गरीब होके भी दिल से, इंसानियत और आचरण से अमीर हैं।


कही लड़की के पास बस्त्र होके भी वह पैसों के लिए अपना तन दिखाती है,

तो कहीं कोई विदेशी होके भी सभ्यता का महत्व क्या है,वह बखूबी जानती हैं।


कोई अच्छा खाकर भी बीमारी का शिकार हो रहा है,

तो कहीं कोई एक सुखी रोटी खाके भी चैन की नींद सो रहा हैं।


कोई अमीरी से पैसों के लालच में परेशान है,

तो कहीं कोई हाथ मैं कटोरा लेके चलती सडक के बीच भीक मांग ज़िंदगी बिता रहा है।


कोई ज़िंदगी पाके भी उसे किसी कारण खोने पर उतरू हो आता है,

तो कहीं कोई ज़िंदगी की परिभाषा अपने शब्दों में वह स्वयं लिखता हैं।


कोई शिक्षा पाकर भी उसे अर्जन नहीं करता है,

तो कहीं कोई शिक्षा के लिए मिलो दूर खाली पैर चलके जाते हैं।


कोई मंदिर होके भी वहाँ जाके एक दिन माथा नहीं टेकता है,

और कहीं कोई ऐसे के अपने घर को मंदिर बना लेते हैं।


कोई फूल से भरे रास्तों पर काँटों का सामना न कर, चलना नहीं चाहता है,

तो कहीं कोई काँटों के रास्ते पर चल अपनी वांछित मंज़िल को पाते हैं।


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