समर्पित
समर्पित
निर्लिप्त निःशब्द पहेली बन गया था मैं।
जिसे आपने शब्दों का एक जोड़ दिया।
मिक़दार हो गए थे सब रास्ते मेरे, तब
आपने एक सुनहरी राह का मोड़ दिया।
12 वीं में हिंदी की अनोखी अलख जगाई।
तब थोड़ी - सी कहानी मेरे समझ आई ।
शब्द सिर्फ औरों के लिए थे, खामोशी से।
मुझे एक अल्फाजों की सौम्य माला पहनाई।
याद आता है "उसने कहा था" का लहना।
पढ़ाने के अंदाज़ को बताएं आपका गहना।
तो हैं प्रशस्त आपके अंदाज़ का पुस्र्षत्व।
जिसे शब्दों में , नितांत दुष्कर है कहना।
हो सकता है मेरी मुश्किलों की वजह से
आपकी वो गुरुदक्षिणा अधूरी रह जाये ।
सागर को स्याही बनाकर गर लिखने बैठूँ
रिक्त... आपकी कहानी अधूरी रह जाये।
हे! गुरुवर आपको कोटि - कोटि प्रणाम।
आपकी कीर्ति व उन्नत तेजस को सम्मान।
फैले दुनियाँ कदमों में कालीन की तरह।
आपके चरणोँ समर्पित मेरा ये दुर्लभ मान।
मिक़दार - समाप्त
निर्लिप्त - गैर दिलचस्प
रिक्त- रिक्त हो जायेगा