समोसा
समोसा
बड़ी नज़ाकत से पहन
मैदे की सफेद झीनी साड़ी
आंचल में छुपाए आलू और
चटपटे मसाले तीन कोने से अपने को
सजा गरम तेल में उछल कूद कर
जब बाहर निकलती हूँ
तब हर किसी की ललचाई नज़र
मुझसे हट न पाती है
इठलाती हूँ मैं और पास बुलाती हूँ
न केवल स्वाद पल भर में मूड भी
तेरा बदल देती हूँ
मेरे सौंदर्य का जादू
कुछ ऐसे सर चढ़ कर बोलता है
बड़े-बड़े संयमी भी मचलते
ललचाते आगे पीछे डोलते है
जी हाँ मैं समोसा हूँ जिसके बिना
दोस्तों का संग भीअधूरा
अधूरा सा लगता है चाय कॉफी भी
मेरे बिना फीकी- फीकी सी लगती है
दस्तक देगी जब यादें वो पुरानी बातें
और वो शाम मैं भी शामिल रहूंगी
उसमें संग लिए अपना सौंदर्य और स्वाद।