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Nand Kumar

Inspirational

3  

Nand Kumar

Inspirational

सम्बन्ध

सम्बन्ध

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सम्बन्ध हृदय का भाव है वह ,

जहां भिन्न भिन्न जन होते एक।

मिलकर सुख दुख को सहते ,

जीने-मरने को भी तत्पर रहते ।।


स्वार्थ साधने को ही अब तो , 

सम्बन्ध बनाते जन जग में ।

आ जाती कटुता सम्बन्धों में , 

हो तालमेल ना जीवन में ।।


पुत्री के घर को बसाने में , 

जब कर्जदार पितु हो जाता ।

लोभी फिर भी सन्तुष्ट न हो , 

तो यह दुख ना देखा जाता ।।


स्वार्थ से अछूता कोई कब , 

पर पर अनिष्ट का ध्यान रहे ।

दुर्योधन अरु रावण हुए हेय ,

पर गये न धन वैभव को गहे ।।


सबको लख अपने ही समान,

सम्बन्ध बनाए दृढ़ रखिए ।

कष्टों में काम आते अपने , 

सम्बन्ध न तार तार करिए ।।


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