सिर्फ धूल हूं मैं
सिर्फ धूल हूं मैं
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मोहिनी मूरत तेरी मेरे दिल में सजी रहती है
गंदे जल को भी तू गंगाजल बना देती है
मुझे इबादत का तेरी जरा भी सऊर नहीं
एक बूंद भी गिरे पलकों से मेरी ये
मां तुझे मंजूर नहीं
नासमझ हूं दुनिया भी मुझे गवांर कहती है
टूटने पर भी बिखरने नहीं देती तू
नई तस्वीर बनाकर सवांर देती है
मेरा वजूद कुछ भी नहीं तेरे सिवा
रूह जिस्म से कभी नहीं होती है जुदा
तेरी ही बगिया का एक फूल हूं मैं
चरणों की तेरी मां
"सिर्फ धूल हूं मैं।"