सिंदूरी बंधन
सिंदूरी बंधन
छूट गया बाबुल का घर
अब बसेरा पिया का मन
मंगल अष्टक हो चुके
मंगल बंधन पिया का मन।
सदा रहूँगी संग तेरे
पर बाबुल का ना भुलूँ घर
जिन हाथों ने थामा हैं
आज पराया हुआ वो घर।
सात फेरों के बंधन में
कन्या दान हुआ है आज
तीनों लोकों को पाया है
सिंदूरी बंधन में आज।